पंडित रमेश चंद्र शास्त्री, जो पुरी के वरिष्ठ धर्माचार्य और श्री जगन्नाथ संस्कृति अनुसंधान संस्थान से जुड़े हैं, उनके अनुसार:
“जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, यह हमारे भारतीय संस्कृति का जीवंत उदाहरण है जिसमें भक्ति, सामाजिक समरसता और आत्मिक चेतना तीनों का मेल होता है। 2025 की यात्रा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक दुर्लभ पंचांग संयोग में पड़ रही है, जहां अषाढ़ द्वितीया पर शुक्रवार का दिन प्राप्त हो रहा है — जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। ISKCON के वैश्विक आयोजन से इस यात्रा को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली है, जिससे भारत की आध्यात्मिक धरोहर दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच रही है।”
“ऐसे आयोजनों में भाग लेना केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा के जागरण की दिशा में पहला कदम होता है।”