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Female Feticide: Pune Doctor Delivers Baby Girls For Free At His Hospital – Pune: यहां बेटी होने पर अस्पताल का पूरा पैसा होता है माफ, ‘बेटी बचाओ’ की मिसाल पेश कर रहा यह डॉक्टर No ratings yet.

प्रतीकात्मक फोटो

प्रतीकात्मक फोटो - फोटो : Pixabay

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पुणे का एक अस्पताल 'बेटी बचाओ मिशन' का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान के तहत यहां बेटी होने पर डिलीवरी का पूरा पैसा माफ होता है। इसके अलावा यह अस्पताल लोगों को भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूक भी कर रहा है। 
 
दअअसल, पुणे के हडपसर स्थित मैटरनिटी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में बीते 11 सालों में 2400 से अधिक बच्चियों की डिलीवरी मुफ्त में की गई है। अस्पताल के डॉ गणेश राख का दावा है कि उन्होंने प्रसूता के परिवारीजनों से इसके लिए एक भी पैसा नहीं लिया। 

2012 में शुरू हुई थी पहल
डॉक्टर गणेश राख बताते हैं कि कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ हमारी यह पहल 2012 में शुरू हुई थी। बाद में कई राज्य व अफ्रीकी देश इससे जुड़ते गए। उन्होंने बताया, अगर किसी परिवार में लड़की पैदा होती है तो हम पूरा चिकित्सा शुल्क माफ करते हैं। वह कहते हैं कि इस सकारात्मक पहल का यह नतीजा है कि आसपास के क्षेत्रों में कन्या भ्रूण हत्या के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है। 

लड़की होने पर देखने तक नहीं आते थे रिश्तेदार 
डॉ. गणेश बताते हैं अस्पताल के शुरुआती दिनों में जब भी किसी के यहां लड़की पैदा होती थी, तो परिवार वाले उसे देखने तक नहीं आते थे। लड़की होने पर अस्पताल की फीस देने से भी इनकार करते थे। वहीं जब लड़का पैदा होता था तो वे खुशी-खुशी सब करते थे। ऐसे में हमने लड़की होने पर फीस माफ करने का फैसला लिया। 

विस्तार

पुणे का एक अस्पताल 'बेटी बचाओ मिशन' का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान के तहत यहां बेटी होने पर डिलीवरी का पूरा पैसा माफ होता है। इसके अलावा यह अस्पताल लोगों को भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूक भी कर रहा है। 


 
दअअसल, पुणे के हडपसर स्थित मैटरनिटी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में बीते 11 सालों में 2400 से अधिक बच्चियों की डिलीवरी मुफ्त में की गई है। अस्पताल के डॉ गणेश राख का दावा है कि उन्होंने प्रसूता के परिवारीजनों से इसके लिए एक भी पैसा नहीं लिया। 

2012 में शुरू हुई थी पहल
डॉक्टर गणेश राख बताते हैं कि कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ हमारी यह पहल 2012 में शुरू हुई थी। बाद में कई राज्य व अफ्रीकी देश इससे जुड़ते गए। उन्होंने बताया, अगर किसी परिवार में लड़की पैदा होती है तो हम पूरा चिकित्सा शुल्क माफ करते हैं। वह कहते हैं कि इस सकारात्मक पहल का यह नतीजा है कि आसपास के क्षेत्रों में कन्या भ्रूण हत्या के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है। 

लड़की होने पर देखने तक नहीं आते थे रिश्तेदार 
डॉ. गणेश बताते हैं अस्पताल के शुरुआती दिनों में जब भी किसी के यहां लड़की पैदा होती थी, तो परिवार वाले उसे देखने तक नहीं आते थे। लड़की होने पर अस्पताल की फीस देने से भी इनकार करते थे। वहीं जब लड़का पैदा होता था तो वे खुशी-खुशी सब करते थे। ऐसे में हमने लड़की होने पर फीस माफ करने का फैसला लिया। 

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