
शिव नगरी की छटा... - फोटो : अमर उजाला
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सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा पर देवाधिदेव महादेव की नगरी में सांझ ढलते ही पूनम के चांद की अगुवाई में आसमान से सितारों की झिलमिलाती बरात घाटों पर दीपमालाओं को चुनौती देंगे। सुरसरि के तट पर जलने वाले दीपों की आभा निरखने के लिए लाखों-लाख नेत्र युगल घाटों पर पहुंचेंगे। पंचगंगा घाट पर श्रीमठ की सीढि़यों से ऊपर स्थित हजारा (सहस्त्र दीप) की साफ-सफाई पूरी हो गई है।
महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा अर्पित किए गए हजारे का पहला दीप जलाने के बाद घाटों पर दीपमालाओं की शृंखला प्रज्ज्वलित होती हैं। आगे बूंदी परकोटा घाट की साज-सज्जा भी पूरी हो चुकी है। आदिकेशव घाट, राजघाट, गायघाट, पंचगंगा घाट, सिंधिया घाट, ललिताघाट, मीरघाट से लेकर दशाश्वमेध घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, राजा चेत सिंह घाट, केदारघाट, तुलसीघाट से असि घाट व रविदास घाट की रंगत देखते ही बन रही है। गंगा के घाटों की सीढि़यों से उतरकर पर्व का उल्लास रेती पार और शहर के कुंड-सरोवरों से लगायत लगभग सभी देवालय व घर के चौक-चौबारों तक बिखर गया है।
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देव दीपावली के अवसर पर राजराजेश्वर शिव की नगरी में आज देवलोक उतर आएगा। सुरसरि की लहरों पर दीपमालाएं इठलाएंगी। देव दीपावली पर दुनिया भव्य और दिव्य काशी का नव्य स्वरूप निहारेगी। शाम ढलते ही उजालों की बरसात से शिवनगरी नहा उठा उठेगी। घाट से शहर की गलियों की राहें जुड़ेंगी और जन सहभागिता से विराट व रंगीले उत्सव में चार चांद लगेंगे। गंगा के साथ आकाश गंगा के मिलन की अनमोल घड़ी का गवाह बनने के लिए देश और दुनिया भर के पर्यटक काशी पहुंच चुके हैं।
सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा पर देवाधिदेव महादेव की नगरी में सांझ ढलते ही पूनम के चांद की अगुवाई में आसमान से सितारों की झिलमिलाती बरात घाटों पर दीपमालाओं को चुनौती देंगे। सुरसरि के तट पर जलने वाले दीपों की आभा निरखने के लिए लाखों-लाख नेत्र युगल घाटों पर पहुंचेंगे। पंचगंगा घाट पर श्रीमठ की सीढि़यों से ऊपर स्थित हजारा (सहस्त्र दीप) की साफ-सफाई पूरी हो गई है।
महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा अर्पित किए गए हजारे का पहला दीप जलाने के बाद घाटों पर दीपमालाओं की शृंखला प्रज्ज्वलित होती हैं। आगे बूंदी परकोटा घाट की साज-सज्जा भी पूरी हो चुकी है। आदिकेशव घाट, राजघाट, गायघाट, पंचगंगा घाट, सिंधिया घाट, ललिताघाट, मीरघाट से लेकर दशाश्वमेध घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, राजा चेत सिंह घाट, केदारघाट, तुलसीघाट से असि घाट व रविदास घाट की रंगत देखते ही बन रही है। गंगा के घाटों की सीढि़यों से उतरकर पर्व का उल्लास रेती पार और शहर के कुंड-सरोवरों से लगायत लगभग सभी देवालय व घर के चौक-चौबारों तक बिखर गया है।