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Varanasi : Dev Deepawali Today, Devlok Will Descend In The City Of Shiva – Dev Deepawali 2022 : राजराजेश्वर की नगरी में आज उतरेगा देवलोक, सुरसरि की लहरों पर इठलाएंगे दीप No ratings yet.

शिव नगरी की छटा...

शिव नगरी की छटा... - फोटो : अमर उजाला

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देव दीपावली के अवसर पर राजराजेश्वर शिव की नगरी में आज देवलोक उतर आएगा। सुरसरि की लहरों पर दीपमालाएं इठलाएंगी। देव दीपावली पर दुनिया भव्य और दिव्य काशी का नव्य स्वरूप निहारेगी। शाम ढलते ही उजालों की बरसात से शिवनगरी नहा उठा उठेगी। घाट से शहर की गलियों की राहें जुड़ेंगी और जन सहभागिता से विराट व रंगीले उत्सव में चार चांद लगेंगे। गंगा के साथ आकाश गंगा के मिलन की अनमोल घड़ी का गवाह बनने के लिए देश और दुनिया भर के पर्यटक काशी पहुंच चुके हैं।

सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा पर देवाधिदेव महादेव की नगरी में सांझ ढलते ही पूनम के चांद की अगुवाई में आसमान से सितारों की झिलमिलाती बरात घाटों पर दीपमालाओं को चुनौती देंगे। सुरसरि के तट पर जलने वाले दीपों की आभा निरखने के लिए लाखों-लाख नेत्र युगल घाटों पर पहुंचेंगे। पंचगंगा घाट पर श्रीमठ की सीढि़यों से ऊपर स्थित हजारा (सहस्त्र दीप) की साफ-सफाई पूरी हो गई है। 

महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा अर्पित किए गए हजारे का पहला दीप जलाने के बाद घाटों पर दीपमालाओं की शृंखला प्रज्ज्वलित होती हैं। आगे बूंदी परकोटा घाट की साज-सज्जा भी पूरी हो चुकी है। आदिकेशव घाट, राजघाट, गायघाट, पंचगंगा घाट, सिंधिया घाट, ललिताघाट, मीरघाट से लेकर दशाश्वमेध घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, राजा चेत सिंह घाट, केदारघाट, तुलसीघाट से असि घाट व रविदास घाट की रंगत देखते ही बन रही है। गंगा के घाटों की सीढि़यों से उतरकर पर्व का उल्लास रेती पार और शहर के कुंड-सरोवरों से लगायत लगभग सभी देवालय व घर के चौक-चौबारों तक बिखर गया है।

दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से अमर शहीद ज्योति की अनुकृति तैयार है। देव दीपावली देश के अमर जवानों को समर्पित रहेगी। गंगोत्री सेवा समिति की ओर से 108 किलो अष्टधातु की गंगा प्रतिमा का 108 किलो फूलों से श्रृंगार किया जाएगा। चेतसिंह घाट पर थ्रीडी प्रोजेक्शन मैपिंग के जरिए गंगा अवतरण और देव दीपावली की कहानी दर्शाई जाएगी।
पढ़ें: सीएम योगी बोले- काशी के घाटों पर भीड़ नियंत्रन की बनाएं कार्ययोजना, किसी से भी न हो दुर्व्यवहार
तुलसीघाट पर भी साज-सज्जा को देर रात तक अंतिम रूप दिया गया और अस्सी घाट को सजाया गया है। जैन घाट पर अहिंसा परमो धर्म, जियो और जीने दो के सिद्धांतों के आधार पर दीपों से सजावट हो रही है। स्याद्वाद महाविद्यालय के प्रबंधक सुरेंद्र कुमार जैन अपने साथियों संग पथरीले कैनवास पर जैन धर्म के प्रतीक की पेंटिंग को अंतिम रूप देते रहे।

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देव दीपावली के अवसर पर राजराजेश्वर शिव की नगरी में आज देवलोक उतर आएगा। सुरसरि की लहरों पर दीपमालाएं इठलाएंगी। देव दीपावली पर दुनिया भव्य और दिव्य काशी का नव्य स्वरूप निहारेगी। शाम ढलते ही उजालों की बरसात से शिवनगरी नहा उठा उठेगी। घाट से शहर की गलियों की राहें जुड़ेंगी और जन सहभागिता से विराट व रंगीले उत्सव में चार चांद लगेंगे। गंगा के साथ आकाश गंगा के मिलन की अनमोल घड़ी का गवाह बनने के लिए देश और दुनिया भर के पर्यटक काशी पहुंच चुके हैं।

सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा पर देवाधिदेव महादेव की नगरी में सांझ ढलते ही पूनम के चांद की अगुवाई में आसमान से सितारों की झिलमिलाती बरात घाटों पर दीपमालाओं को चुनौती देंगे। सुरसरि के तट पर जलने वाले दीपों की आभा निरखने के लिए लाखों-लाख नेत्र युगल घाटों पर पहुंचेंगे। पंचगंगा घाट पर श्रीमठ की सीढि़यों से ऊपर स्थित हजारा (सहस्त्र दीप) की साफ-सफाई पूरी हो गई है। 

महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा अर्पित किए गए हजारे का पहला दीप जलाने के बाद घाटों पर दीपमालाओं की शृंखला प्रज्ज्वलित होती हैं। आगे बूंदी परकोटा घाट की साज-सज्जा भी पूरी हो चुकी है। आदिकेशव घाट, राजघाट, गायघाट, पंचगंगा घाट, सिंधिया घाट, ललिताघाट, मीरघाट से लेकर दशाश्वमेध घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, राजा चेत सिंह घाट, केदारघाट, तुलसीघाट से असि घाट व रविदास घाट की रंगत देखते ही बन रही है। गंगा के घाटों की सीढि़यों से उतरकर पर्व का उल्लास रेती पार और शहर के कुंड-सरोवरों से लगायत लगभग सभी देवालय व घर के चौक-चौबारों तक बिखर गया है।

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