
कार्तिक पूर्णिमा - फोटो : सोशल मीडिया।
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वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, मंगलवार को पूर्णिमा तिथि का मान दिन में तीन बजकर 53 मिनट तक, इस दिन भरणी नक्षत्र भी संपूर्ण दिन और रात्रि को एक बजकर 52 मिनट है। इसके पूर्व यानी सोमवार को सायंकाल तीन बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जा रही है। ऐसे में चंद्रोदय के समय पूर्णिमा तिथि होने से श्रद्धालु इसी दिन पूर्णिका का व्रत करेंगे। लेकिन, स्नान, दान, तर्पण आदि समस्त पुण्यदाई कार्यों के लिए मंगलवार को ही मान्य रहेगा।
कार्तिक पूर्णिमा का महात्म्य
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, इस दिन गंगा या पवित्र नदियों में स्नान से श्रद्धालुओं को पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह में किए गए दान, व्रत, तप, जप का लाभ चिरकाल तक बना रहता है।
आज मनाई जाएगी देव दिवाली
पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवतागण दिवाली मनाने पृथ्वी पर आते हैं। मान्यता के अनुसार त्रिपुर के नाश से प्रसन्न होकर देवताओं ने काशी में पंचगंगा घाट पर दीपोत्सव का आयोजन किया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार काशी के राजा देवदास ने अपने राज्य में देवताओं को प्रतिबंधित कर दिया था। इस दिन सायंकाल मंदिरों, चौराहों, गलियों, पीपल के वृक्षों और तुलसी के पौधों के पास दीपक जलाएं। गंगा के जल या पवित्र नदियों तट पर दीपदान करें।
कल लगेगा साल का अंतिम चंद्र ग्रहण
पंडित देवेंद्र प्रताप मिश्र के अनुसार, साल का अंतिम चंद्र ग्रहण मंगलवार को लगेगा। यह ग्रहण संपूर्ण भारत में ग्रस्तोदय रुप में दिखाई देगा। यानी भारत की किसी भी शहर में इस दिन जब सायंकाल चंद्रोदय होगा, इससे काफी पहले ही चंद्र ग्रहण प्रारंभ हो चुका होगा। गोरखपुर में चंद्रोदय स्पर्श का समय शाम पांच बजकर छह मिनट और ग्रहण मोक्ष शाम छह बजकर 19 मिनट पर होगा। कुल ग्रहण अवधि एक घंटा 13 मिनट। सूतक ग्रहण के 12 घंटे पहले लग जाएगा।
विस्तार
कार्तिक पूर्णिमा मंगलवार को मनाई जाएगी। श्रद्धालु इस दिन स्नान कर दान-पुण्य करेंगे। लेकिन, पूर्णिमा का व्रत सोमवार को ही रखेंगे। देव दिपावली भी आज ही मनाई जाएगी।
वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, मंगलवार को पूर्णिमा तिथि का मान दिन में तीन बजकर 53 मिनट तक, इस दिन भरणी नक्षत्र भी संपूर्ण दिन और रात्रि को एक बजकर 52 मिनट है। इसके पूर्व यानी सोमवार को सायंकाल तीन बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जा रही है। ऐसे में चंद्रोदय के समय पूर्णिमा तिथि होने से श्रद्धालु इसी दिन पूर्णिका का व्रत करेंगे। लेकिन, स्नान, दान, तर्पण आदि समस्त पुण्यदाई कार्यों के लिए मंगलवार को ही मान्य रहेगा।
कार्तिक पूर्णिमा का महात्म्य
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, इस दिन गंगा या पवित्र नदियों में स्नान से श्रद्धालुओं को पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यताओं के अनुसार कार्तिक माह में किए गए दान, व्रत, तप, जप का लाभ चिरकाल तक बना रहता है।