ग्रेच्युटी सुविधा कल के कैबिनेट ने बेसिक के लिए भी बहाल कर दी है, अब बिना ग्रेच्युटी फार्म भरे भी सेवा पूर्व मृत्यु होने पर नामिनी को लाभ मिल सकेगा
😊😊😊😊😊
मृत बेसिक शिक्षकों के परिजनों को ग्रेच्युटी का रास्ता साफ, जिन्होंने नहीं भरा ग्रेच्युटी का विकल्प।उन्हें अब दिया जा सकेगा लाभ, ग्रेच्यूटी के नए प्रस्ताव को योगी कैबिनेट की मंजूरी
निर्णय के मुताबिक ऐसे शिक्षक जिनके द्वारा 60 या 62 की आयु से पहले सेवानिवृत्त का विकल्प नहीं दिया गया और उनकी मृत्यु 58 या 60 वर्ष के पूर्व ही हो गई, उन्हें भी ग्रेच्युटी का भुगतान किया जा सकेगा।
सनद रहे कि
1 - बेसिक शिक्षकों के लिये राज्य कर्मचारियों की तरह ग्रेच्यूटी लाभ का शासनादेश 23-11-1994 को निर्गत किया गया था।
2 - परिषद के गठन से 3-2-2004 तक परिषदीय शिक्षकों की सेवानिवृति आयु 60 वर्ष थी। ऐसे में 58 वर्ष की सेवानिवृत्ति का विकल्प देने या 58 वर्ष के पहले मृत्यु पर ग्रेच्यूटी का प्रावधान किया गया था।
3- राज्य कर्मचारियों की सेवानिवृति आयु 60 वर्ष करने के बाद 4-2-2004 के आदेश से बेसिक शिक्षकों की सेवानिवृति आयु 62 वर्ष कर दी गयी।
4- ऐसे में 3-2-2004 के बाद बेसिक शिक्षा परिषद तथा अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों को इस ग्रेच्यूटी लाभ के लिये 60 वर्ष की सेवानिवृति का विकल्प दिया जाना जरूरी था।
5 - 1994 में ग्रेच्यूटी आदेश का मूल उद्देश्य यही था कि कर्मचारियों की भांति शिक्षकों को भी उनके सेवा के बदले कुछ पारितोषिक जरूर दिया जाए। इसके लिये तकनीकी रूप से यह जरूरी था कि शिक्षक भी कर्मचारियों की भांति 58 या 60 वर्ष में सेवा निवृत्त हो जाएं।
6 - अब नौकरी 62 वर्ष तक की जाये या 60 वर्ष में ही सेवानिवृत्ति लेकर ग्रेच्यूटी लाभ लिया जाए, इसका फैसला एक शिक्षक 59 वें वर्ष की आयु में करता, जो कि तकनीकी रूप से सही होता।
7 - जागरूकता और जानकारी के अभाव में अधिकांश बेसिक शिक्षकों द्वारा इसका लाभ लिया ही नही गया। अधिकांश शिक्षकों ने ये मान लिया था कि ग्रेच्यूटी लाभ शिक्षकों के लिये नही होता है।
8 - इसी क्रम में बहुत सारे शिक्षक 60 वर्ष की आयु से पहले ही असमय मृत्यु के शिकार हो गए।
ऐसे सैकड़ों मामलों में मृत शिक्षकों के परिजनों ने डेथ ग्रेच्यूटी की मांग की तो अधिकारियों ने यह कहते हुए ग्रेच्युटी देने से इनकार कर दिया कि मृत शिक्षकों ने 60 वर्ष की सेवानिवृति का विकल्प नहीं दिया था।
9- मामला अदालतों में गया। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेच्यूटी की मूल अवधारणा को माना कि ग्रेच्यूटी सेवा के बदले दिया जाने वाला पारितोषिक है। विकल्प महज एक टूल्स है। इसे विकल्प न देने के कारण रोका जाना अन्याय है, लिहाजा 60 वर्ष के पहले मृत शिक्षकों के परिजनों को इसका भुगतान किया जाए।
10 - अब माननीय उच्च न्यायालय और माननीय सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों के बाद उत्तर प्रदेश के मंत्रिपरिषद ने बेसिक शिक्षा परिषद तथा अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों की ग्रेच्युटी के भुगतान के सम्बन्ध में विभाग से मिले प्रस्ताव को शनिवार को मंजूरी दे दी।