Operation Sindoor 2025: BSF जवान Purnam Kumar Shaw की पाकिस्तान से वापसी की दिल छू लेने वाली कहानी, हर भारतीय को जानना चाहिए।
🔷 परिचय (Introduction)
14 मई 2025 की सुबह भारतवासियों के लिए एक राहत भरी खबर लेकर आई। भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) के कांस्टेबल Purnam Kumar Shaw, जो पिछले 22 दिनों से पाकिस्तान की हिरासत में थे, आखिरकार वतन लौट आए। इस पूरे मिशन को नाम दिया गया – “Operation Sindoor”। यह सिर्फ एक जवान की रिहाई की कहानी नहीं, बल्कि भारत सरकार की कूटनीतिक ताकत, एक पत्नी के संघर्ष और एक देश के अटूट विश्वास की मिसाल है।
🔷 कौन हैं Purnam Kumar Shaw?
Purnam Kumar Shaw पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रिसड़ा शहर के निवासी हैं। वह BSF में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं और पंजाब के फिरोज़पुर सेक्टर में सीमा पर अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। उनका परिवार बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आता है लेकिन देशसेवा की भावना ने उन्हें सीमा सुरक्षा बल का हिस्सा बनाया।
🔷 क्या हुआ था 23 अप्रैल 2025 को?
23 अप्रैल को ड्यूटी के दौरान Purnam Kumar Shaw गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान की सीमा में चले गए। यह एक असावधानीवश हुई घटना थी जिसे बाद में पाकिस्तान रेंजर्स ने भी स्वीकार किया। इसके बाद उन्हें पाकिस्तान की हिरासत में ले लिया गया, और लगभग 22 दिनों तक वह वहीं कैद रहे।
यह खबर जैसे ही भारत पहुंची, उनके परिवार, खासकर उनकी पत्नी राजनी का दिल बैठ गया। पर उन्होंने हार नहीं मानी और अपने पति की वापसी के लिए हर मुमकिन दरवाज़ा खटखटाया।
🔷 ऑपरेशन सिंदूर: कैसे हुआ जवान की वापसी संभव?
🔹 भारत सरकार की तत्परता
जैसे ही यह मामला सामने आया, भारत सरकार ने तुरंत हरकत में आते हुए विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, और BSF हेडक्वार्टर के जरिये पाकिस्तान से बातचीत शुरू की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को बेहद गंभीरता से लिया और साफ शब्दों में पाकिस्तान को चेतावनी दी कि भारत अपने जवान को किसी भी हालत में सुरक्षित वापस लाएगा।
🔹 राजनयिक और सैन्य प्रयास
इस पूरे मिशन को नाम दिया गया – “Operation Sindoor”, जो न सिर्फ एक ऑपरेशन था बल्कि उस पत्नी की मांग और प्रतीक था जिसने अपने पति की सलामती के लिए देश से गुहार लगाई थी। भारत की ओर से उच्च स्तर की राजनयिक बातचीत और कूटनीतिक दबाव बनाया गया। इसके अलावा सैन्य स्तर पर भी लगातार बातचीत होती रही।
🔹 मीडिया और जनता का दबाव
जैसे ही मीडिया को इस खबर की भनक लगी, सोशल मीडिया पर #BringBackPurnam ट्रेंड करने लगा। हर नागरिक जवान की रिहाई की मांग कर रहा था। इससे पाकिस्तान पर और दबाव पड़ा।
🔷 14 मई 2025: BSF जवान की वतन वापसी
14 मई की सुबह 10:30 बजे, अमृतसर स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तान रेंजर्स ने BSF के हाथों Purnam Kumar Shaw को सौंप दिया। जब वह भारत की जमीन पर कदम रखे, तो वहां मौजूद अधिकारियों और परिवार की आंखों में आंसू थे – राहत के और गर्व के।
BSF द्वारा उन्हें तुरंत मेडिकल जांच और डिब्रीफिंग के लिए भेजा गया। पूरी प्रक्रिया के दौरान उन्हें पूरी सुरक्षा दी गई और परिवार को भी जानकारी में रखा गया।
🔷 पत्नी की भूमिका: एक प्रेरणादायक संघर्ष
Purnam Shaw की पत्नी राजनी ने पूरे समय हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने बंगाल सरकार, केंद्र सरकार, और BSF अधिकारियों से संपर्क साधा। उन्होंने मीडिया के जरिए भी अपील की और एक बहादुर सैनिक की पत्नी होने का फर्ज निभाया।
उनकी यह जिद और कोशिश ही थी जो “ऑपरेशन सिंदूर” के रूप में जवान की घर वापसी की वजह बनी।
🔷 पश्चिम बंगाल में जश्न का माहौल
जैसे ही रिसड़ा में लोगों को Shaw की वापसी की खबर मिली, पूरे इलाके में ढोल-नगाड़े बजने लगे। लोग मिठाइयां बांट रहे थे, देशभक्ति के नारे लग रहे थे और हर किसी की जुबान पर एक ही नाम था – Purnam Kumar Shaw।
राज्य सरकार ने भी इस रिहाई की सराहना करते हुए केंद्र सरकार का धन्यवाद दिया।
🔷 इस घटना से क्या सबक मिलता है?
- सीमा पर तैनात जवान कितनी कठिन परिस्थिति में रहते हैं, इसका अंदाजा हमें तब होता है जब ऐसी घटनाएं सामने आती हैं।
- सरकार की तत्परता और कूटनीति कितनी कारगर हो सकती है, यह “ऑपरेशन सिंदूर” ने साबित कर दिया।
- एक पत्नी का संघर्ष और विश्वास किसी भी मुश्किल को आसान बना सकता है।
🔷 FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. Purnam Kumar Shaw पाकिस्तान कैसे पहुंचे?
Ans: वह गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे और वहां के रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
Q2. उनकी वापसी कितने दिनों बाद हुई?
Ans: उन्हें 22 दिन बाद भारत वापस लाया गया।
Q3. ऑपरेशन सिंदूर क्या है?
Ans: यह भारत सरकार द्वारा चलाया गया मिशन था जिससे Purnam Shaw की सुरक्षित वापसी संभव हो सकी।
Q4. क्या इस तरह की घटनाएं पहले भी हुई हैं?
Ans: हां, सीमा पर ड्यूटी के दौरान कई बार जवान गलती से सीमा पार कर लेते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में उन्हें वापस लाया गया है।
Q5. क्या उन्हें किसी तरह की सजा दी गई?
Ans: नहीं, यह असावधानीवश हुई घटना थी और जांच के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
🔷 निष्कर्ष (Conclusion)
Purnam Kumar Shaw की वापसी सिर्फ एक व्यक्ति की रिहाई नहीं, बल्कि पूरे देश की एकजुटता, एक पत्नी के अटल विश्वास और सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति की जीत है। ऑपरेशन सिंदूर आने वाले समय में देशभक्ति, प्रेम और साहस की प्रेरणा बनकर रहेगा।
भारत हमेशा अपने सपूतों के साथ खड़ा रहा है और रहेगा।
This incident underscores the importance of vigilant border management and the effectiveness of diplomatic channels in resolving cross-border issues.