Shardadham Jashpur को छत्तीसगढ़ सरकार ने आधिकारिक पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है। जानिए इसके धार्मिक, सामाजिक और पर्यटन महत्व की पूरी जानकारी इस ब्लॉग में।
🔶 परिचय
छत्तीसगढ़ के सुदूर वन क्षेत्रों में स्थित एक पवित्र स्थल, Shardadham, अब राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। यह न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि शिक्षा, सेवा और आत्मिक शांति का भी अद्वितीय संगम है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्णय के बाद इस स्थल को छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड की लिस्ट में शामिल कर लिया गया है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे Shardadham का इतिहास, महत्व, सरकार की योजना, कैसे पहुंचें, और इसके धार्मिक व सामाजिक योगदान के बारे में विस्तृत जानकारी।
🔷 Shardadham कहाँ स्थित है?
Shardadham, छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के दुलदुला ब्लॉक में स्थित है, जो कि झारखंड सीमा से लगा हुआ क्षेत्र है। यह स्थान घने जंगलों से घिरा हुआ है और पास ही गिरमा नदी की कलकल करती धारा बहती है, जो इसे एक प्राकृतिक और आध्यात्मिक माहौल प्रदान करती है।
- दूरी: जशपुर मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर
- सीमावर्ती राज्य: झारखंड
- वातावरण: घना जंगल, शांत वातावरण
🔶 सरकार द्वारा पर्यटन स्थल की मान्यता
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शारदाधाम को छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड की सूची में शामिल करने का आदेश जारी किया है। इससे इस स्थान को निम्नलिखित लाभ मिलेंगे:
- राज्य सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ
- पर्यटकों के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाएं (सड़क, पानी, टॉयलेट, गेस्ट हाउस आदि)
- प्रचार-प्रसार व राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा
🔷 Shardadham का धार्मिक महत्व
यह मंदिर विद्या की देवी माता सरस्वती को समर्पित है। मंदिर की खास बात यह है कि इसका निर्माण किसी भी सरकारी अनुदान के बिना श्रद्धालुओं की सेवा व श्रमदान से हुआ है। इसका वास्तुशिल्प झारखंड के प्रसिद्ध लचलागढ़ हनुमान मंदिर से प्रेरित है।
यह मंदिर न केवल पूजा का केंद्र है, बल्कि एक सामाजिक जागरूकता और सेवा भावना का प्रतीक भी है।
🔶 सामाजिक योगदान: शिक्षा और सेवा का केंद्र
Shardadham केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यहां एक ऐसा शैक्षणिक केंद्र भी चलाया जाता है, जहाँ छत्तीसगढ़ और झारखंड के गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा, आवास और भोजन की सुविधा दी जाती है।
यह सारी व्यवस्थाएं श्रद्धालुओं के सहयोग और समिति के स्वयंसेवकों के माध्यम से चलाई जाती हैं। यह स्थान समाजसेवा का एक आदर्श मॉडल बन गया है।
🔷 मुख्यमंत्री की पर्यटन नीति और अन्य योजनाएं
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार जशपुर क्षेत्र को धार्मिक और प्रकृति पर्यटन के रूप में विकसित कर रही है। कुछ प्रमुख योजनाएं:
- मयाली नेचर कैंप, कुनकुरी – ₹10 करोड़ का बजट भारत दर्शन योजना के अंतर्गत
- कोटेबिरा धाम पर पुल निर्माण – लक्ष्मण झूला की तर्ज पर
- मधेेश्वर महादेव मंदिर का विकास – हाल ही में इसे Golden Book of World Records में दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग घोषित किया गया है
🔶 Shardadham कैसे पहुंचे?
🚗 सड़क मार्ग:
- रायगढ़ से: 140 किलोमीटर
- जशपुर से: 30 किलोमीटर
- निजी वाहन, टैक्सी या लोकल बस से पहुँचना आसान
🚆 रेल मार्ग:
- निकटतम रेलवे स्टेशन: रायगढ़, रायपुर या झारसुगुड़ा
✈️ हवाई मार्ग:
- नजदीकी एयरपोर्ट: रायपुर या झारसुगुड़ा
🔷 घूमने का सही समय
- नवरात्रि, बसंत पंचमी, और सरस्वती पूजा के समय यहाँ विशेष भीड़ होती है।
- अक्टूबर से फरवरी तक का समय प्राकृतिक सुंदरता देखने के लिए आदर्श है।
🔶 पर्यटन स्थल घोषित होने के क्या फायदे होंगे?
फायदे | विवरण |
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सरकारी फंडिंग | इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में सहूलियत |
रोजगार | गाइड, होटल, रेस्टोरेंट आदि से स्थानीय लोगों को रोजगार |
पर्यटन विकास | क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा |
धार्मिक जागरूकता | नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जुड़ाव |
🔷 FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
प्र.1: क्या Shardadham में रहने की सुविधा है?
उत्तर: अभी सीमित सुविधाएं हैं, लेकिन अब सरकार द्वारा इसे पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के बाद गेस्ट हाउस और धर्मशालाएं विकसित की जाएंगी।
प्र.2: क्या Shardadham केवल धार्मिक स्थल है?
उत्तर: नहीं, यह एक शिक्षा और सेवा केंद्र भी है जहां सैकड़ों बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है।
प्र.3: क्या यहाँ पर्यटकों के लिए गाइड उपलब्ध होंगे?
उत्तर: सरकार के निर्देशों के अनुसार जल्द ही प्रशिक्षण प्राप्त गाइड्स की व्यवस्था की जाएगी।
🔶 निष्कर्ष
Shardadham का पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त करना न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि इससे जुड़ी शिक्षा, सेवा और सामाजिक उत्थान की भावना को भी देशभर में नई पहचान मिलेगी।
छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल जशपुर जैसे सुदूर वन क्षेत्र को राष्ट्रीय मानचित्र पर लाने का काम करेगी और आने वाले वर्षों में यह स्थल “शांति, श्रद्धा और सेवा” का आदर्श बनकर उभरेगा।